~ उड़दाँ पंजाब…
ज़िंदगी दे क़िस्से, आए सारयाँ दे हिस्से,
किसे नू दीस्से, किसे नू नयि दीस्से…
एन्ना जया बोल की बीजी फिर हल्के-फुल्के बानांण लग्ग पयी…
हैप्पी ओय हैप्पी
उठ वी जा हुन, अद्दी रात्ती बड़ा शोर पाया फेर तू,
हैपी सद्दा, “उड़दा पंजाब”, उड़ सकदा सी उठ नयी…
हैप्पी दा वड्डा भ्ररा सी अपणा काला,
काला नां हैं जी काले दा, ते उसनु हर चीज़ काली पसंद सी…
रोटी दे नाल – काली दाल,
चावलॉ दे नाल – काले चने,
काली पैंट, काली क़मीज़, नाल काला चश्मा,
काली बुलट ते काली पग्ग,
पीनी उस, काली रम नाले ब्लैक पेप्पर चिकन,
फ़ेवरेट पिक्चर “ब्लैक”…
एक्को चीज़ सफ़ेद सी उस दे कोल, चिटा दिल,
हिक़दम साफ़, नियत सुफेद कोई काली हरकत बर्दाश्त ना सिगी उसनु,
ना करदाँ ना सेहँदा…
वेख्या, काले दी तरीफा ख़त्म ही ना होन कदें…
हैप्पी नू बस पीनी शराब ते करना पिंड दा महोल ख़राब
जमया ठीक सी, नौ साल दा सी, जद्दो बाऊजी नू परमवीर चक्र मिलया,
लोकॉ दे लेयी कश्मीर जन्नत है, इस घर दी जन्नत लूट लयी कश्मीर ने…
बस उस तो बाद ते, हर वक़त नशा,
कहंदाँ है, पाकस्तान तो ज़िन्दा बच के आए हिंदुस्तान, मरण वास्ते…
डरदाँ है होर मरदा है ते बस काले ते, काला है ही सोना, पिंड दी जान…
“बीजी, मेरी रोटी … फ़सल किहोजी है वेख आवाँ”
बुलेट नू मारी किक, जाँदें जाँदें इक लत हैप्पी नू वी, ते काला फुर्र…
“बीजी भूख लगी है, परोंठे ला दे चार नाले दे देयी अचार”
“आज तो शराब बंद”
ख़बर पड़ के अख़बार विच, “हैप्पी” ते उसदी भूख दोनो रफ़ूचक्कर…
“शराब बंद, सरकार दा दिमाग़ ख़राब हो गया हेगा, शराब ते टैक्स मिलदा है, उसनु बंद करता, स्मैक वेचड़-गे सारे” – हैप्पी बड़बड़ान्दा भज्या…
खेत विच काला पहुंच्या ही सी,ते…
“काला भैया, काला भैया, आज हरिया फिर नहीं आया, आप बताओ इतनी फ़सल का ध्यान हम नौ लोग कैसे करेंगे?”
“साला बुरबक कहने लगा, हमहु नहीं डरत काउन काला गोरा से”
“हम आपका खिलाप किछऊ नाहीं सुन सकत, खींच कान का नीचे चार लगा दिया, सारा विचार ठिकाने आ गया”
“ओय ठंड रख ठंड, भोला है, बोलया ही ते है, कुछ उखड़ाया ते नहीं, कल लें आयी नाल अपने” – काला बोल्या…
“भैया, ई-तो हैप्पी भैया का जीप है” – हीरा बोला…
“कीथे, ओय हाँ, चल तू कम कर, हीरे नू ले आयीं सवेरे…
किक, स्टार्ट, चलया जट विदआउट फ़ियर…
“ओ निक्के, रुक कीथे भजदा पया हैं?”
“फ़ौज भर्ती होंन, मैं वी परमवीर जितना हैं…वीरे शराब ते बैन लग गया है, कठि करण झल्ला फिरदा हाँ” – हैप्पी सिद्दा जवाब दे ही नहीं सकदा सी…
“चंगा…ओदे नाल की होना, तू ते स्मैक पी लयी” – काले ने वि मज़ाक कित्ता…
“ना ओ वीरे ना…नशे दी लत्त है बस पागल नहीं हाँ मैं, मरना नी मैं स्मैक पी…शराब ते चल जाऊँ, स्मैक पी मैं आप ते आप पूरा घर मार देनॉ”
“सरकार दा चक्कर होर हेगा, सरकारी नशा बैन कर ऐसने अपने घर दी स्मैक दी सप्लाई वदाँ देनी है”
“पीन आड़े ने शराब बंद होयी ते, फिर स्मैक ही मारनी है”
“आ सरकार दी चाल हैं, सोचया उना की स्मैक विकेगी ते पोलिटिशिअन दे घर डिरेक्ट्ली इनकम”
काला चुप, सोंच विच,
…आदम होश विच वोट दे अन्दाँ है, ए नशे विच उड़दाँ पंजाब की समझा गया…