~ सहेली…
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मोहे इश्क़ हुआ ज़रा धीरे से,
धीरे धीरे से तेरे वीरे से,
इक काम करा दे मेरा,
ले चल कल उसे तू मेले में,
मिलवा दे मुझे तू अकेले में,
तू है ना मेरी पक्की वाली सहेली, सुलझा दे मेरे दिल की पहेली,
मिलवा दे ना, मिलवा दे ना…
मेरा दिल अब ना मेरे क़ाबू में,
नैन मेरे, रस्ते पे अड़े,
थक गयी अब मैं खड़े खड़े,
इक बार मुझे मिलवा दे ना,
नाल उसदे मुझे बिठा दे ना,
ओ मेरी पक्की वाली सहेली, सुलझा दे मेरे दिल की पहेली,
मिलवा दे ना, मिलवा दे ना…
मैं रात से बुझी बुझी सी हूँ,
ना भूख मुझे ना प्यास लगे,
कभी दिल अटके कभी साँस रुके,
अंकल को ससुर बनवा दे ना,
मम्मी को सास बनवा दे ना,
ओ तू मेरी पक्की वाली सहेली, सुलझा दे मेरे दिल की पहेली,
मिलवा दे ना, मिलवा दे ना…
मैं बावरी हो के नचड़ा
मैं हुँड नहीयो है बचना,
जग झूठा लगे वो सच-ना,
तेरा वीरे विच दिखे मुझे सजना,
मैं बस उस वास्ते है सजना,
हायों मेरी पक्की वाली सहेली, सुलझा दे मेरे दिल की पहेली,
मिलवा दे ना, मिलवा दे ना…
तू मेरी पक्की वाली सहेली है,
बचपन से साथ तू खेली है,
मेरी डोली घर बुलवा दे ना,
अपड़े वीरे से अन्ख लड़वा दे,
अपने घर मेरा घर वसावा दे,
ओ मेरी सच्ची वाली सहेली, सुलझा दे मेरे दिल की पहेली,
मिलवा दे ना, मिलवा दे ना…